Wednesday, 14 December 2011

अपराध के खिलाफ एक आवाज

ईशान बढते अपराध और फेल कानून व्यवस्था का कारण बताते है, उनका केहेना है आज की जिन्दगी अजीब हो गयी है हम अपने में ही सिमटे जा रहे है! हमे किसी दुसरे की परवाह नहीं, अगर हमारे सामने किसी के साथ गलत हो रहा हो तो हम नजर अंदाज कर बाद में दुसरो को दोषी ठेहेराते है हम किसी भी बात पर बोलते है जो हो रहा है होने दो इसी कारण अपराधिक घटनाए तेजी से बढती जा रही है!
उदाहरण:- एक बस में लोग सफ़र कर रहे होते है! सफ़र के दौरान एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति को परेशान करने लगता है! उस समय वह 3 मानसिकता वाले लोग होते है:-
  • जो दुसरे को कमजोर समझ कर परेशान कर रहा होता है 
  • जिसके साथ गलत हो रहा होता है और जो लोगो से मदद की आशा रखता है!
  • जनता:- जो चुप-चाप तमाशा देख रही होती है और पीड़ित की मदद नहीं करती ये सोच कर की "क्यों बेकार में सर दर्दी मोल ले! आज ये इसको परेशान कर रहा है अगर हम कुछ बोलेंगे तो कल इसी तरह हमे भी परेशान करेगा !"

अगले दिन वोही आदमी वापिस आकर किसी दुसरे को बड़े आत्मविश्वास से दुगना परेशान करने लगता है, ये सोच कर की किसी में मेरा सामना करने की हिम्मत नहीं है! मगर अब वहा 3 नहीं 4 मानसिकता के लोग हो जाते है:-

  • जो दुसरे को कमजोर समझ के परेशान कर रहा होता है!
  • जिसके साथ गलत हो रहा होता है और जो लोगो से मदद की आशा रखता है! (कल की जनता में से एक होता है)
  • जनता:- जो चुप-चाप तमाशा देख रही होती है और पीड़ित की मदद नहीं करती ये सोच कर की "क्यों बेकार में सर दर्दी मोल ले! आज ये इसको परेशान कर रहा है अगर हम कुछ बोलेंगे तो कल इसी तरह हमे भी परेशान करेगा! "
  • वो जो मदद तो करना चाहता है पर ये सोच के मदद नहीं करता की कल जब मेरे साथ गलत हो रहा था तो किसी ने मेरी मदद नहीं की तो में आज इसकी मदद क्यों करू !

अगर हम आज किसी की मदद करेंगे तभी तो कल कोई हमारी भी मदद करेगा किसी को तो पहल करनी ही होगी जो आज हम कर रहे है:-


  •  हर इलाके में बदमाश होते है जो लोगो को परेशान (मार-पिटाई, डराना-धमकाना, महिलाओ और लडकियों के साथ बदतमीजी करना इत्यादी) करते है! कुछ लोग इन बदमाशो के खिलाफ अपनी आवाज उठालेते है और कुछ लोग डर के मारे नहीं उठा पाते, उन लोगो के साथ हम है! 

  • जो लोग अपनी आवाज उठाते है वो इन बदमाशो की शिकायत पुलिस थाने में करते है, वो बदमाश इलाके का नामी आदमी होता है! वो अपनी जान-पहचान के कारण या पैसे दे कर छुट जाता है, पैसे लेकर बदमाशो को छोड़ देने वाले भ्रष्ट पुलिस वालो के खिलाफ हम है!

  • सारे पुलिस वाले भ्रष्ट नहीं होते वो इन बदमाशो के खिलाफ कार्यवाही करना चाहते है पर उच्च अधिकारियो के दबाव के कारण कर नहीं पाते क्योकि वो बदमाश मान्य मंत्री जी होते है या मान्य मंत्री जी के चमचे या पूंजीपति होते है जो उन्हें चुनाव के वक्त पैसा देते है, अपनी शक्तियों का दूर-उपयोग करने वाले भ्रष्ट मन्त्रीओ के खिलाफ हम है!

  • इमानदार पुलिस वाले जैसे तेसे F.I.R. दर्ज कर मुजरिम को कोर्ट में पेश करते है मगर भ्रष्ट न्यायधिशो द्वारा अपराधियों के साथ भेद भाव किया जाता है (सजा देने मे भी असमानता:- उदहारण सामने है धनञ्जय चटर्जी को फाँसी दे दी गयी पर निठारी कांड के अभियुक्त दानव के साथ क्या किया गया ! जेसिका लाल हत्याकांड हो या उज्जैन की विदेशी युवती के साथ बलात्कार की घटनाये ,ऐसे बहुत से उदहारण है जहाँ पर पुलिस और न्यायालय इतनी सख्त नहीं हुई थी जितनी की धनञ्जय चटर्जी के वक़्त हुई थी) अपराधियों के साथ भेद भाव करने वाले भ्रष्ट न्यायधिशो के खिलाफ हम है! 
जनता से अपील- एकता ही सारी समस्या का समाधान है !
अब वह समय आ चुका है जब हम समस्त भारतीयों को जनहित के लिए एक जुट हो जाना चहिये ! यदि आप स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति के साथ गलत होता देखते है तो अपनी आवाज उठाओ पूरा संगठन आपके साथ एकत्रित होकर आपकी आवाज से आवाज मिलायेगा!
कोई गलत कार्य तब तक गलत होता है जब तक उसके खिलाफ विरोध की आवाज नही उठाई जाती ! अब इस भारत देश को गुनाह और भ्रष्टाचार से मुक्त भारत के रूप में देखना है इसलिए हम सभी भारतीयों से आशा करते है कि वो आगे आए और निंदा छोड़ के व्यवस्था सुधारने में हमारी मदद करे !


"सूर सो पहचानिए , जो लारे दीनके हेत पुर्जा-पुर्जा कट मारे तबहूँ ना छाडे खेत"

ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
All India Anti-Crime Front
(IPY की अपराध और भ्रष्टाचार के विरोध एक आवाज)
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आवाज

भ्रष्टाचार कभी पूर्ण ख़त्म नहीं किया जा सकता (जब घूस देने वाला भी खुश है और लेने वाला भी खुश है और इस से किसी तीसरे को भी कोई परेशानी ना है) हम खाली उस भ्रष्टाचार को ख़त्म कर सकते है जिस से किसी को परेशानी हो (घूस देने या लेने वाले को या इन दोनों के कारण किसी तीसरे को )..


आप हमे इस तरह सहियोग दे सकते है!

अगर आप:-
सरकारी अधिकारी है और रिशवत आपकी मज़बूरी है:-
तो हमे ईमानदार अधिकारी नहीं चाहिए क्योकि हम नहीं चाहते की आप दिवार पे टंगी तस्वीर बन जाए मतलब साफ़ है मान लीजिये एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ जिलाधिकारी एक नए शहर मे आया | तुरंत वहां के दलाल और माफिया उसके इर्द-गिर्द मंडराते नज़र आ जाते है | अब यदि उस शहर का नामी-गिरामी शख्स जो पेशे से बिल्डर है रियल स्टेट का (वास्तव मे भू-माफिया है) आये और बोले -" सर ये पेसे के तौर पर ये 30 लाख सूटकेस मे रखा है रख लीजिये और इस फाइल मे हस्ताक्षर कर दीजिए |अब आप बताइए ऐसे स्थिति मे वह सरकारी कर्मचारी क्या करे ! उसके पास केवल दो विकल्प बचते है|पहला वह अवैध और गैरकानूनी ढंग से बनायीं जा रही प्रोजेक्ट को पास कर दे और आराम से पैसा रख ले| और दूसरा वह अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए प्रोजेक्ट को पास करने से इंकार कर दे |इसका परिणाम उसको पता है-अगले दिन वह गोली का शिकार हो जायेगा और दीवार पे टंगी तस्वीर बन जायेगा |इस विकल्प मे उसे पैसा (घूस) भी नहीं मिलता और गैरकानूनी तरीके से मृत्यु भी प्राप्त हो जाती है |

दूसरा उदहारण :- यदि किसी तंत्र मे निचला अधिकारी अपने से ऊँचे पदाधिकारी को चढ़ावा नहीं चढ़ाता क्योंकि वह ईमानदार है तो उसके साथ क्या होता है; पता है उसका कही दूर जंगल-पहाड़ मे तबादला कर दिया जाता है | यहाँ ऊपर के अधिकारी की मानसिकता साफ़ झलकती है -"वह सोचता है की निचला अधिकारी सारा का सारा माल अकेले हड़प लेना चाहता है "| हालात से मजबूर होके वह इमानदार कर्मचारी भी दबाव में आकर घुस लेना आरम्भ कर देता है | ये घटनाएँ पुलिस ,बैंक और विकास प्राधिकरण मे आसानी से देखने को मिल जाएँगी |
          ताकत से ही ताकत को मारा जा सकता है बस फर्क तो इतना होगा बुराई की ताकत को मारने वाली एक अच्छाई की ताकत होगी बिलकुल उसी तरह यहाँ भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार को ख़त्म करेगा ! आपको ईमानदार नहीं बनना; लेकिन बेईमानो मे से कुछ ईमानदार बनना है | यदि आपको सच मे ईमानदारी से कार्य करना है तो एक काम करना होगा |अब तक दो विकल्प थे --एक तरफ पैसा,जिंदगी और आराम है और दूसरी तरफ ईमानदारी के साथ मौत | मै तीसरा विकल्प बताता हूँ! इस विकल्प मे पैसा भी मिल जायेगा ,उस पैसे से माफिया को साफ़ करने का रास्ता भी मिल जायेगा ( हमारे साथ मिलके उन्ही के पैसे से उन्हें ख़त्म करदो ) और कुछ गरीबों मे बांटकर धर्म और ईमानदारी का कार्य भी हो जायेगा |
इस कार्य के करने के तीन वजह :-
  • "आत्मेन रक्ष्यते परमोधर्मः || " तो पैसा लेकर अपनी जिंदगी बचाओ, अपनी जिंदगी सही सलामत रही तभी तो कोई भी ईमानदारी का काम करने लायक रह पाएंगे |
  • "शाठ्यम सदा दुर्जनः||" उस माफिया को ख़त्म करके एक कर्तव्य भी पूरा करो |
  • पैसा गरीबों मे बांटकर एक नेकी और धर्म का कार्य भी कर दो |

आप आम जनता है:-
(आम जनता को दो भागो में बांटा जाता है 90% और 10%)


जादातर सरकारी अधिकारी रिशवत नहीं मागते 90% जनता अपनी इच्छा से रिशवत देना पसंद करते है क्योंकि :-
  • हम जल्दबाजी में होते है और जल्दी से जल्दी काम करवाना चाहते है
  • हमारे पास कागज पत्री पूरी नहीं होती जो उस काम के लिए जरूरी होते है जो हम करवाना चाहते है!
  • हम लम्बी लाइनों में नहीं लगना चाहते!
  • हम किसी कार्य के लिए अयोग्य होते है और उस कार्य को करने कि इच्छा रखते है!
हम इन कारणों के कारण घूस देना पसंद करते है और घूस के लिए तंत्र पर प्रत्यारोपण कर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लेते है! जबकि हमे पता 1965 में जो भ्रष्टाचार-विरोधी कानून बना था! उसमे साफ-साफ दर्ज है घूस लेना और देना दोनों दंडनिये अपराध है

जनता से अपील :- आप 90% जनता रिशवत देनी छोड़ के अपना काम व्यवस्थित तरीके से करवाने कि आदत डाल लो या भ्रष्टाचार के लिए व्यवस्था पर प्रत्यारोपण करना बंद करदो! आप लोग तो शोर मचा के किनारे हो जाते हो कि "भ्रष्टचार ने जीना दुष्वार कर दिया जन्म परमाण पत्र से लेकर मृत्यु परमाण पत्र तक के लिए रिश्वत देनी पड़ती है" आप लोगो के कारण इमानदार अधिकारियो का इमानदारी से काम करना और सच्चे लोगो का बिना रिशवत दिए काम करवाना मुश्किल हो जाता है!

अगर आप 10% जनता में से है तो:-
कोई हम से कब पैसे मांगता है वो भी उस काम को करने के लिए जिसे करना उसकी जिम्मेवारी है???
जब उसको लगता है की हम अज्ञान, अकेले आम आदमी है और हम अपनी आवाज नहीं उठा सकते, अगर वो अपना काम नहीं करेगा तो हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे और हमे उसको मजबूर होके पैसे देने पड़ेगे.....
  • सबसे पहले उन लोगो को पैसे देना बंद करो!
  • जब पैसे मांगे उसी टाइम शोर माचो सबके सामने चिला-२ के कहो ये मेरे से पैसे मांग रहा है!
  • RTI लगाओ, स्ट्रिंग ऑपरेशन करो या उस भ्रष्ट कि शिकायत करो! कहा? और कैसे? वो हम बताएँगे!(जानने के लिए यहाँ click करे)

आपका जल्दी से जल्दी काम हो जाएगा साथ ही आप खुद उस भ्रष्ट को सजा भी दिलवा सकोगे! क्योकि अब आप अकेले, अज्ञान, आम आदमी ना होके एक जागरूक शक्तिशाली और विशाल परिवार के सदस्य होगे!

ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
(IPY की अपराध और भ्रष्टाचार के विरोध एक आवाज)
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"